किस्मत,
नमस्कार साथियो, मेरा नाम बलवीर है और मै एक सैनिक हूं। साथियो मै आप के साथ इस लेख के माध्यम से जुड़ने की कोशिश करता हूं। अगर आप सबका साथ मिलेगा तो हमेशा आप सबके लिए लेख लिखता रहूंगा।
आज के लेख मे एक कहानी लेकर आया हूं । यह कहानी किस्मत पर आधारित है। आशा करता हूं आप सब पसंद करेंगे।
एक गांव मे दो भाई रहते थे । बड़ा भाई बहुत अमीर था और छोटा भाई बहुत गरीब था। एक बार बड़े भाई ने अपने घर मे दावत दी, दावत मे सब अमीर लोगों को ही बुलाया और छोटे भाई को नही बुलाया।
उसे लगा शायद भाई निमंत्रण देना भूल गये है ंं। इसलिए वो अपनी मा (जो उसके साथ रहती थी ) को साथ लेकर दावत मे चला गया। जब दावत मे उसके बड़े भाई ने उनको देखा तो वह क्रोधित हो गया । बड़े भाई ने सबके सामने छोटे भाई को वोला कि जब तुुुुम्हे वुलाया नही तो तुम क्यूं आए हो। यह अमीरों की दावत है तुुम जाओ पहले अपनी किस्मत जगाओ फिर आकर बात करना। इतना वोलकर उसे घर से निकाल दिया ।
घर आकर वो सोचने लगा कि किस्मत को कैसे जगाऊं पता नही कहां होगी। रात सोते समय उसे ख्याव आया। ख्याव मे एक बूढ़ा
आदमी वोला, तुम्हारी किस्मत दूर नदी के पार है वहां जाओ और उसे जगाओ।
दूसरे दिन वो घर से निकल पड़ा। रास्ते मे उसे एक टूटा हुआ घर मिला। घर के पास एक व्यक्ति रो रहा था । लड़के ने पूछा सेठ जी क्यूं रो रहें है ं आप। तो सेठ जी ने कहा मै जब भी घर बनाता हूं तो यह गिर जाता है इसलिए परेशान हूं।
फिर सेठ जी के पूछने पर उसने सब कुछ बता दिया।
सेठ जी वोला ठीक है अपनी किस्मत से मेरे लिए भी पूछना कि मै जब भी घर बनाता हूं तो घर टूट क्यूं जाता है। लड़के ने हां मे सिर हिलाया और आगे बढ़ गया।
काफी देर चलने के बाद लड़के को पेड़ दिखाई दिया जो आधा झुका हुआ था। उसने भी लड़के से पूछा कि तुम कहां जा रहे हो
तो लड़के ने सारी कहानी सुना दी । पेड़ ने कहा अपनी किस्मत से मेरे लिए पूछना कि बहुत साल बीत गये ऐसे ही मुझे झुके हुए ,
मै गिरता क्यूं नही? लड़के ने हां मे सिर हिलाया और आगे चल पड़ा।
फिर लड़का चलते चलते नदी किनारे पहुंच गया। अब वो सोचने लगा कि नदी पार कैसे करूंगा। तभी अचानक वहां एक मगरमच्छ
आ गया। उस मगरमच्छ का मुहं खुला हुआ था। मगरमच्छ के पूछने पर भी लड़के ने सारी कहानी उसे सुना दी।
और मगरमच्छ से निवेदन की, कि मुझे पार पहुंचा दीजिए। मगरमच्छ ने कहा मै आप को नदी के पार
एक शर्त पर पहुंचा सकता हूं अगर तुम मेरे लिए पूछ कर आओ कि मेरा मुहं खुला क्यूं रहता है। लड़के ने हां मे जवाव दिया।
फिर मगरमच्छ लड़के को नदी के पार ले गया।
कुछ दूर चलने के बाद लड़के को एक साधू दिखाई दिया , लड़के ने साधू को देखा तो वह हैरान हो गया क्योंकि वह वही साधू था जो लड़के को ख्याव मे दिखा था । लड़के ने साधू के पैर छूए और पूछा
क्या आप मेरी किस्मत है ं ?और अगर आप मेरा किस्मत हैं तो मैने आप को जगा दिया है अब आप मुझे अमीर वना दो मेरे बड़े भाई की तरह।
साधू बाबा वोले, किस्मत को जगाया नही, बनाया जाता है। और उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है। मै तुम्हे अमीर नही वना सकता परंतु तुम ने यहां तक आने के लिए बहुत मेहनत की है इस का फल तुम्हे जरुर मिलेगा ।
लड़के ने साधू को मगरमच्छ की बात सुनाई।
साधू बाबा वोले, मगरमच्छ को वोलना, तुम्हारे मुहं मे सोने का दांत है उसे निकाल दो फिर तुम्हारा मुहं बंद हो जाएगा।
लड़के ने फिर पेड़ की बात सुनाई ।फिर साधू बाबा वोले, पेड़
को वोलना तुम्हारी जडो़ं के नीचे खजाना है उसे निकाल दो तो तुम गिर जाओगे और तुम्हारी मुक्ति हो जाएगी।
सेठ जी वाली बात पर साधू बाबा वोले, सेठ को वोलना आप के घर मे एक वेटी है पहले उसकी शादी करो , फिर घर नही गिरेगा।
फिर लड़का वहां से चल पड़ा।
नदी किनारे मगरमच्छ ने फिर लड़के को पार पहुंचाया और फिर लड़के ने मगरमच्छ को बताया कि तुम अपने मुहं से सोने का दांत निकाल दो तो तुम ठीक हो जाओगे।
मगरमच्छ ने कहा मै तो निकाल नही पाऊंगा तुम ही निकाल लो और अपने पास ही रख लो। लड़के ने ऐसे ही किया।
फिर वो पेड़ के पास आया और उसे सारी बात बताई ।
पेड़ ने कहा , कोई कोन आएगा खजाना निकालने, तुम ही निकाल लो। लड़के ने सारा खजाना निकाल लिया और पेड़ गिर गया।
सेठ जी को भी लड़के ने सारी बात सुनाई।
सेठ जी ने देखा लड़के के पास बहुत खजाना है क्यूं न वेटी की शादी इसके साथ ही कर दूं वेटी सदा सुखी रहेगी।
यह सोचकर उसने लड़के को शादी के लिए वोल दिया।
लड़के ने हां वोल दी।
सेठ जी ने दोनो की मंदिर मे शादी कर दी।
फिर जब लड़का अपने घर पहुंचा तो पूरा गांव हैरान हो गया। बड़े भाई के होश उड़ गये।
लड़के ने अपनी मा और पत्नी के साथ पूरे गांव को दावत दी।
जिसमे अमीर गरीब सबको बुलाया।।। ।
साथियो, हम जब कर्म करेंगे तभी हमें कुछ हासिल होगा।
हम यह सोच कर नही बैठ सकते कि हमारी किस्मत मे कुछ नही है।
साथियो आप से निवेदन है कि आप को कहानी अच्छी लगे तो अपने इस सैनिक के लिए कमैंट जरुर करना
धन्यवाद जय हिन्द